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जीतू रावत Jeetu Rawat का "मैं पहाड़ी छूँ" Mai Pahadi Chhun गीत लोगों को खूब आ रहा पसंद इस गीत को ओहो रेडियो OHO Radio पर भी सुन रहे लोग.

"मैं पहाड़ी छूँ" गीत में पहाड़ की संस्कृति को लेकर किया गया जिक्र अपनी संस्कृति को बढ़ाने में पहली कोशिश जीतू रावत की । ओहो रेडियो पर भी इस गीत को लोग सुन रहे हैं।

गीत एलबम

अल्मोड़ा के Jeetu Rawat जीतू रावत का "मैं पहाड़ी छूँ" Mai Pahadi Chhun गीत लोगों को खूब पसंद आ रहा है। इस गीत को लोगों द्वारा बहुत प्यार मिल रहा है। इस वीडियो गीत को पहाड़ी मन यूट्यूब चैनल से रिलीज किया गया । जो कि सभी युवा व बुजुर्गो के जुबां पर है। इस गीत में मशहूर संगीतकार आशीम मंगोली Ashim Mangoli ने संगीत Music दिया है। जो संगीत प्रेमियों को नाचने पर मजबूर कर देता है। इस गीत को माही गोस्वामी ने लिखा है, जो कि पहाड़ की रीति-रिवाजों, खान-पान, रहन सहन व पहनावा का भी जिक्र किया है। पहाड़ी फल फूल का भी सुंदर वर्णन इस गीत में किया है। इस गीत को यूटयूब में लोग खूब देख रहें हैं। उत्तराखंड का पहला डिजिटल रेडियो स्टेशन ओहो रेडियो देहरादून OHO Redio Dehradun से भी इस गीत को लोग पूरे देश में सुन रहे हैं। RJ Kavya आर जे काव्या द्वारा चलाई गई ये पहल जिससे लोगों को पहाड़ संबंधित सभी प्रकार की खबर हो या फिर संगीत हर क्षेत्र में लोग ओहो रेडियो आप्लिकेशन द्वारा सुनते हैं। पहाड़ की वादियों में ओहो रेडियो के एप्लिकेशन से लोग मैं पहाड़ी छूँ गीत का आनंद ले रहे हैं। जनपद अल्मोड़ा के सल्ट के रहने वाले इस युवा गायक गीतू रावत ने संगीत के क्षेत्र में नयां कदम रखा है। इस गीत से जीतू को नई पहचान मिल रही है। गीत मैं पहाड़ी छूँ को अपनी खूबसूरत आवाज देकर लोगों के बीच प्रस्तुत किया है।

जीतू रावत ने इस गीत को लेकर क्या कहा

युवागायक जीतू रावत Jeetu Rawat

जीतू रावत ने बताया कि अभी तक 5 गीत मार्केट में आ चुके हैं। अभी तक ज्यादा सफलता हासिल नहीं हो पाई हैं और उन्होंने बताया कि संगीत के लिए मै हमेशा काम करूंगा और मेरी कोशिश जारी रहेगी । इसके साथ ही मैं अपनी संस्कृति से बहुत गहराइयों से जुड़ा हूं गाने के माध्यम से और अपनी  पहाड़ी भाषा में हास्य  वीडियो बनाकर अपनी संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा हूँ।

"मैं पहाड़ी छूँ" गीत के लेख माही गोस्वामी ने इस तरह लिखे हैं

ओ दाज्यू मैं पहाड़ी छू , ओ दाज्यू मैं पहाड़ी  छू,
हिवालय को रणी छू, ठंडो पानी पिणी छु,
ओ दाज्यू मैं पहाड़ी  छू, ओ भुला मैं पहाड़ी छू।
1 अन्तरा
मडुवा रोटम नूणा डई, सुन ले दादा मेले खाई
दी टाइम को रोट खाणी, एक टाइम को भात खाणी छू
ओ दाज्यू मैं पहाड़ी छू।
2 अंतरा
गेरु बाकरा धुर चराई, संग मुरली मिल बजाई
गोगनू पाणी भैस ले पियो, गोरु भैसी को गावा कणी छू
ओ दाज्यू मैं  पहाड़ी छू, ओ भुला मैं पहाड़ी छु।।
3 अंतरा
आलू गुटक गडेरी साग, भट्ट  चूड़काणी झुंगर भात।
चाह केतूली चूल मैं रेंछो, मैं चाहा सुडकि लगनी छू।।
ओ दाज्यू मैं पहाड़ी छु, ओ भुला मैं पहाड़ी छू।
4 अंतरा
हिसालू  काफल कीरमोडा, आओ रे पहाड़ तुम ले खाला।
गाड़ गधेरा पानी सुसाठ , मैं धारा को पानी पिनी छू।
ओ दाज्यू मैं पहाड़ी छु, ओ भुला मैं पहाड़ी छू।।