प्राची बिष्ट फोटो |
Chandrayan-3: एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेटी प्राची और पिता खड़क सिंह भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त है जबकि उनकी मां तुलसी बिष्ट एक कुशल गृहिणी हैं
समूचे उत्तराखण्ड के लिए एक बड़ी खुशी की खबर सामने आ रही। जहाँ एक तरफ राज्य के युवा हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं वही दूसरी ओर पहाड़ की बेटियां देश में अपना कामयाबी का परचम लहरा रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखण्ड की बेटी प्राची बिष्ट की। चन्द्रयान 3 की अभूतपूर्व सफलता के साथ ही समूचे विश्व में एक बार फिर भारत के वैज्ञानिकों ने अपनी काबिलियत का डंका बजाकर देश का नाम रोशन किया है। वहीं देश की इस अभूतपूर्व उपलब्धि में उत्तराखण्ड के अनेक वाशिंदों ने भी अपनी महत्वपूर्ण अहम भूमिका निभाई है। वहीं राज्य के कई युवा इस मिशन को अंजाम देने वाली टीम का हिस्सा भी थे। और इन होनहार युवाओं की टीम में हल्द्वानी की स्पेस साइंटिस्ट प्राची बिष्ट भी शामिल थी। बता दें कि बचपन से ही बतौर वैज्ञानिक आसमां छूने का ख्वाब देखने वाली उत्तराखंड हल्द्वानी की बेटी प्राची की कंट्रोल यूनिट ने देश के इस अद्भुत मिशन में अपना पूरा योगदान दिया है। यही न केवल अपनी अहम भूमिका भी निभाई बल्कि चन्द्रयान 3 को चांद की सतह पर पहुंचने का पूरा सुरक्षित उतारकर समूचे विश्व से भारत की काबिलियत का लोहा भी मनवाया। इस मिशन में प्राची की टीम को डेटा कलेक्शन के साथ ही कमांड (कंट्रोलिंग) की पूरी जिम्मेदारी दी गई थी। वहीं जिसे उनकी पूरी टीम ने बखूबी निभाया है। सूचना के मुताबिक़ आपको बता दें कि मूल रूप से उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील क्षेत्र की गौलापार स्थित रहने वाली चोरगलिया क्षेत्र के गोविंदपुर निवासी प्राची बिष्ट ने बतौर वैज्ञानिक 2019 में इसरो में ज्वाइनिंग दी थी।
Prachi Bisht Uttarakhand News
एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेटी प्राची और पिता खड़क सिंह भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त है जबकि उनकी मां तुलसी बिष्ट एक कुशल गृहिणी हैं। और आप को बता दें कि उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा केरल से प्राप्त की है। वहीं तदोपरांत उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा हल्द्वानी के सेंट थेरेसा स्कूल से उत्तीर्ण की। वहीं पश्चात उन्होंने जेईई (JEE) की परीक्षा उत्तीर्ण की और उनका चयन तिरुवंतपुरम के आईआईएसटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी) में हो गया। तभी प्राची इंजीनियरिंग के उपरांत सितम्बर 2019 में बतौर वैज्ञानिक इसरो के बंगलुरु केन्द्र पर अपनी ज्वाइनिंग की। जिसके बाद से प्राची ने लगातार चन्द्रयान मिशन पर काम करती रही। चन्द्रयान 2 की असफलता से देश के अन्य वैज्ञानिकों के साथ वह भी थोड़ा मायूस हुई थी। परंतु उनका हौसला कम नहीं हुआ, अपने इसरो परिवार के अन्य सदस्यों की तरह ही उन्होंने हार नहीं मानी और चन्द्रयान 3 मिशन को पूरा सफलता तक पहुंचाने वाली टीम का हिस्सा बनी। वहीं बताया जा रहा है कि चन्द्रयान 3 की सफलता के बाद बीते बुधवार को उन्होंने अपने पिता से कुछ इस तरह अपनी खुशी का इजहार किया -“पापा हमने कर दिखाया, इसरो फैमिली कामयाब रही”। और प्राची के ये चंद शब्द वैज्ञानिकों को अथक प्रयासों के बाद मिली इस अभूतपूर्व सफलता के बयां करने के लिए काफी थे। इसी ख़ुशी से आज पूरे प्रदेश में पहाड़ की बेटी की कामयाबी मिलने पर खुशी की लहर हैं ।