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कपकोट के समाजसेवी भूपेंद्र कोरंगा को उत्तराखण्ड द्रोणा रत्न से किया सम्मानित, Bhupendra Koranga Biography

भूपेंद्र कोरंगा 


उत्तराखण्ड द्रोणा रत्न से सम्मानित हुए भूपेन्द्र कोरंगा आप भी जानें

युवा समाजसेवी भूपेन्द्र कोरंगा को सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक कार्यों के लिए यश इवेंट मैनेजमेंट द्वारा रामनगर में आयोजित सम्मान समारोह में उत्तराखण्ड द्रोणा अवार्ड से सम्मानित किया गया।

भूपेन्द्र कोरंगा की जीवनी Bhupendra Koranga Biography

उत्तराखंड  राज्य के बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील क्षेत्र के गांव लीती  गाँव ने जन्मे भूपेन्द्र कोरंगा ने अपने सामाजिक, सांस्कृतिक और आंदोलनकारी कार्यों के माध्यम से समाज में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। अपने अथक प्रयासों से वे न केवल समाजसेवा के प्रतीक बने, बल्कि युवाओं के प्रेरणास्त्रोत भी हैं। भूपेन्द्र कोरंगा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही वे समाज के प्रति समर्पित और संवेदनशील स्वभाव के थे। शिक्षा के दौरान उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 2012 में स्काउट के माध्यम से उन्हें राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो उनकी नेतृत्व क्षमता और सेवाभाव का पहला बड़ा परिचय था। 

उत्तराखण्ड द्रोणा रत्न से सम्मानित


भूपेंद्र कोरंगा की उपलब्धियाँ

1:- ’2012- राज्यपाल पुरस्कार उनकी मेहनत और लगन का प्रतीक बना।

2:- ’2021- कोविड-19 महामारी के दौरान उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें कोरोना योद्धा सम्मान से नवाजा गया।

3:- ’2022- उनकी युवा नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कार्यों के लिए यूथ आइकॉन अवार्ड प्रदान किया गया।

4:- ’2023- समाज के उत्थान में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर रत्न अवार्ड दिया गया।

जरूरतमंदों की सहायता में आगे रहते हैं भूपेंद्र

भूपेन्द्र कोरंगा ने हमेशा जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे बढ़कर कार्य किया। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्य यह साबित करते हैं कि वे एक संवेदनशील और प्रभावी समाजसेवी हैं। कोरोना काल के कठिन समय में, जब लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे थे, भूपेन्द्र ने जरूरतमंदों तक राशन और दवाइयां पहुंचाई। उनके इस प्रयास ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई। पिछले तीन वर्षों से वे ग्लेशियर के पास बसे सीमांत गांवों में बच्चों को गर्म कपड़े वितरित कर रहे हैं। यह कार्य न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि उनकी दूरदर्शिता का भी प्रमाण है। उन्होंने 12 बार रक्तदान कर कई लोगों की जान बचाई। यह उनकी मानवता और सेवा के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाता है। भूपेन्द्र ने लगभग 2000 से अधिक जरूरतमंद लोगों के इलाज में मदद की है। यह उनकी समाजसेवा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं के दौरान उन्होंने राहत सामग्री वितरित की। आपदा प्रभावित परिवारों के चार बच्चों की शिक्षा का खर्च भी उन्होंने उठाया।

सांस्कृतिक योगदान, परंपरा और प्रतिभा को संजोना

भूपेन्द्र कोरंगा ने न केवल सामाजिक क्षेत्र में, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अद्वितीय योगदान दिया है। पिछले 10 वर्षों से वे लीती गांव में बसंतोत्सव का आयोजन कर रहे हैं, जो क्षेत्रीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है। ‘द वॉइस ऑफ हिल’ नामक सिंगिंग रियलिटी शो के माध्यम से उन्होंने छुपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास किया। कपकोट महोत्सव, रामगंगा घाटी महोत्सव, भनार-माजखेत घाटी महोत्सव और दानपुर महोत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्होंने क्षेत्रीय कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया।

सामाजिक मुद्दों पर आंदोलन

भूपेन्द्र कोरंगा ने समाज के मुद्दों को लेकर कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनके आंदोलनों की सफलता ने यह साबित किया कि सामूहिक प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं। कपकोट के दर्जनों गांव संचार सुविधा से वंचित थे। भूपेन्द्र ने इन गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 65 किलोमीटर की नंगे पैर पदयात्रा की। उनके प्रयासों से गांवों में मोबाइल टावर स्थापित किए गए।नर्सिंग ऑफिसर के रिक्त पदों को लेकर उन्होंने हल्द्वानी में तीन दिन की भूख हड़ताल की और 103 दिनों तक धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद हल्द्वानी से देहरादून तक 270 किलोमीटर की पदयात्रा की। उनके संघर्षों के परिणामस्वरूप 2621 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई। उत्तराखण्ड बेरोज़गार संघ कुमाऊं संयोजक के रूप में उन्होंने बेरोजगार युवाओं की समस्याओं को आवाज दी। उनके प्रयासों से उत्तराखंड पहला ऐसा प्रदेश बना, जहां नकल विरोधी कानून लागू किया गया। प्रदेश में सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने के लिए उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। यह मुद्दा आज भी उनके संघर्षों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

भूपेन्द्र कोरंगा ने अपने जीवन में समाजसेवा, सांस्कृतिक उत्थान और जन आंदोलनों के माध्यम से जो मुकाम हासिल किया है, वह युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सेवा का अद्वितीय उदाहरण है। उनके प्रयास यह साबित करते हैं कि एक व्यक्ति, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करे, तो समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। भूपेन्द्र कोरंगा की कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस विचारधारा की कहानी है, जो यह सिखाती है कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाकर हम न केवल दूसरों की जिंदगी बदल सकते हैं, बल्कि खुद की पहचान भी बना सकते हैं। ’यश इवेंट मैनेजमेंट’’ द्वारा उन्हें ’’उत्तराखंड द्रोणा रत्न अवार्ड 2024’’ से सम्मानित किया।अवार्ड मिलने के बाद भूपेन्द्र कोरंगा ने यह अवार्ड उनके सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक साथियों को समर्पित किया और कहा कि यह सम्मान मिलने के बाद निश्चित तौर पर जन सेवा के लिए और अधिक ऊर्जा मिली है।उन्होंने अपने अभिभावकों, गुरुजनों एवं साथियों का आभार प्रकट करते हुए अवार्ड मिलने के बाद बधाई देने वालों का धन्यवाद ज्ञापित किया।